Friday, January 10, 2025
गजल

आप आया ना करो छत पे मेरे जैसो की…

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“नमन सिंह” म.प्र.

अपनी मौजूदगी का ये तो असर आता है!
खौफ दुश्मन की निगाहों में नजर आता है!

डूबता देख मुझे छोड़ के जाने वालों,
मुझको लहरों से उलझने का हुनर आता है!

आप आया ना करो छत पे मेरे जैसो की,
चाल थम जाती है जब आपका घर आता है!

मैं वो सूरज हूं जिसे बादलों की परछाईं,
ढक तो लेती है मगर फिर से उभर आता है!

अपनी औकात से ज्यादा जिसे भी मिल जाए,
अपनी औकात दिखाने पे उतर आता है!

जिंदगी जैसे मेरी कोई सफरनामा हो,
खत्म होते ही सफर फिर से सफर आता है!

फिर तो बातों में जुनूँ और भी बढ़ जाता है,
पहला मैसेज तेरी जानिब से अगर आता है!

15:53