Wednesday, December 4, 2024
हीरा का पन्ना

ग़ज़ल

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हीरालाल यादव हीरा

ये माना कि तुझको भरोसा नहीं है
मगर मेरी फ़ितरत में धोका नहीं है

चला हूँ सदाकत के पथ पर हमेशा
मेरा झूठ से कोई रिश्ता नहीं है

रहा जाए ख़ुद में सिमटकर हमेशा
ये जीने का वाजिब तरीका नहीं है

वो राही हूँ जिसकी नहीं कोई मंज़िल
वो रजनी हूँ जिसका सवेरा नहीं है

मुहब्बत की राहों पे चलता मैं लेकिन
मेरा ख़ुदकुशी का इरादा नहीं है

सभी ग़लतियों के हैं पुतले यहाँ पर
जहां में कोई भी फरिश्ता नहीं है

दिया तूने जो उसमें ख़ुश हूँ विधाता
सितारों की मुझको तमन्ना नहीं है