MP SIC कमिश्नर ने पकड़ा RTI फिक्सिंग रैकेट
सूचना का अधिकार अधिनियम के दुरुपयोग की शिकायतों के बीच RTI आवेदक और अधिकारी के बीच फिक्सिंग का मामला पकड़ा है। दोषी अधिकारी को जुर्माने से बचाने के लिए RTI आवेदक ने संतुष्टि का प्रमाणपत्र सूचना आयोग के सामने पेश कर दिया। पर सिंह ने अपील प्रकरण रद्द करने के बजाए उल्टे अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उसे ₹25000 जुर्माने का नोटिस थमा दिया है।
इस तरह होता है RTI फिक्सिंग का खेल
पहले RTI आवेदक राज्य सूचना आयोग में अपील दायर करते हैं कि उनको जानकारी नहीं मिली है दोषी और लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। सुनवाई करने के बाद जब आयोग नोटिस जारी करता है तो RTI आवेदक आयोग के सामने संतुष्टि का एक प्रमाण पत्र पेश करते हैं जिसमें वे लिखकर देते हैं कि उन्हें जानकारी प्राप्त हो गई है और वह किसी अधिकारी के विरूद्ध भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। वही अधिकारी भी लिख करके देता है कि आवेदक को अब कोई समस्या नहीं है आवेदक पूरी कार्रवाई से “संतुष्ट” हैं इसीलिए प्रकरण को खारिज किया जाए। इसके बाद आयोग प्रकरण खारिज कर देता है।
MP SIC से नोटिस जारी होते ही RTI आवेदक ने मारी पलटी
श्योपुर के रामभजन रावत ने सूचना आयोग में कई अपीलें दायर कर रखी है। वे अक्सर संतुष्टि का प्रमाण पत्र जारी कर अधिकारी को आयोग की कार्रवाई से बचा कर ले जाते थे। पर इस बार दांव उल्टा पड़ गया। रावत ने सूचना आयोग में अपनी दायर अपील की शीघ्र सुनवाई का आवेदन दिया। रावत ने आयोग में शिकायत की कि उन्हें जानकारी नहीं मिली है और लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने शीघ्र सुनवाई के आवेदन को स्वीकार करते हुए रावत की पांच अपीलों में सुनवाई समन का नोटिस जारी कर दिए। सुनवाई के दिन रावत ने एक संतुष्टि का प्रमाण पत्र आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया और अपने दो अपील प्रकरणों खारिज करने को कहा। रावत ने लिखा कि उन्हें जानकारी प्राप्त हो गई है और अब दोषी लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। वहीं श्योपुर के हासिलपुर और श्यामपुर पंचायतो के सचिव ने भी रावत के प्रमाणपत्र का हवाला देते हुए प्रकरण को खारिज करने के लिए आयोग को लिखा।
MP SIC को ब्लैकमेलिंग का अड्डा नहीं बनने दिया जा सकता: राहुल सिंह
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रावत के संतुष्टि के प्रमाण पत्र को खारिज करते हुए कड़ी टिप्पणी की। सिंह नें आदेश मे कहा कि “सूचना आयोग लोक सूचना अधिकारी और अपीलार्थी के बीच हो रही FIXING को मूकदर्शक रह कर नहीं देख सकता है। अगर ऐसा किया गया तो यह अधिनियम के प्रावधानों पर विपरीत असर डालेगा। आयोग द्वारा सुनवाई सूचना पत्र जारी करने के बाद या सुनवाई की प्रकिया के दौरान अपीलार्थी के लोक सूचना अधिकारी के पक्ष में संतुष्टि प्रमाण पत्र जारी करने के आधार पर अगर आयोग प्रकरण को निरस्त करने लगेगा तो आयोग आरटीआई एक्ट का दुरूपयोग करने वालो के लिए ब्लेकमेलिंग का अड्डा बन जाएगा।”
अपीलकर्ता के अधिकारी के प्रति भाव एकाएक कैसे बदले, आयुक्त का सवाल
राहुल सिंह ने कहा कि आयोग के समक्ष यह भी स्पष्ट है कि कई प्रकरणों में आवेदक द्वारा जानकारी लेने के बाद लोक सूचना अधिकारी के साथ समझौता किया जाता है जिसके तहत लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही नहीं होने की मांग की जाती है। इस तरह के प्रकरणों के चलते अधिनियम की मूल भावना के तहत अधिकारियों को अधिनियम के प्रति संवेदनशील बनाने की व्यवस्था प्रभावित होती है। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आयोग के सुनवाई नोटिस जारी होने तक अपीलकर्ता अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रहे थे नोटिस जारी होते ही एकाएक अपीलार्थी के भाव लोक सूचना अधिकारी के प्रति बदल गये और उन्होंने कार्यवाही नहीं करने की मांग कर दी। इससे स्पष्ट है की लोक सूचना अधिकारी और अपीलार्थी के बीच आयोग की कार्यवाही के डर से समझौता हुआ है। सिंह ने कहा कि आवेदक का मकसद जानकारी प्राप्त करना नहीं था बल्कि जानकारी पाने के अलावा कुछ और था।
फिक्सिंग करने वाले अधिकारी को पेनल्टी का नोटिस जारी
इस तरह की फिक्सिंग को लेकर चिंता जताते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग करने वाले आरटीआई आवेदकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का एक्ट में फिलहाल कोई प्रोविजन नहीं है। ज्यादा से ज्यादा आयोग आरटीआई आवेदक का आवेदन निरस्त कर सकता है, लेकिन फिक्सिंग के मामले मे अगर आयोग लोक सूचना अधिकारियों के विरुद्ध पेनल्टी लगाएगा तो अधिकारियों का यह भ्रम दूर हो जाएगा कि आरटीआई आवेदक के साथ फिक्सिंग करके वे कानून का उल्लंघन करने के बाद बच सकते हैं। सिंह ने रावत और ग्राम पंचायत सचिव की दलील को खारिज करते हुए सचिवों के ऊपर पेनाल्टी लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।