Thursday, November 21, 2024
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कविता

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*बढ़ती उम्र में खुश रहने के लिए–इन्हें छोड़ दीजिए।।*
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*एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है, तो सामने वाले को समझाना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए* 🙏🏼

*बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगें तो उनके पीछे लगना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं भी मिलते तो उन्हें,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है, तो दिल पर लेना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है, तो खुद से अपेक्षा करना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग-अलग है इसलिए तुलना करना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,*
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼

*उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,*
*🙏 छोड दीजिए। 🙏