अकाल और उसके बाद
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी
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Read Moreमन मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार। झूठों के घर पंडित बांचें, कथा सत्य भगवान की,
Read Moreमैंने कहा ए जंगल वालों शहर में रहने आओगे क्या? जंगल में तो गंध बहुत है! बिखरे पत्ते सूखी डाली,
Read Moreदेते प्राणों का दान देश के हित शहीद,पूजा की सच्ची विधि वे ही अपनाते हैं हम पूजा के हित थाल
Read Moreजिस्म क्या है,रूह तक सब कुछ खुलासा देखिए। आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिए।। जो बदल सकती
Read Moreअखंडता की अस्मिता को शत्रु छेड़ते हो जब, तो एकता के जागरण का गान कविता है मेरी। राष्ट्र की समुन्नति
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