त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सरकार को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विवाह समारोह को रोकने के मामले में दी जांच की अनुमति
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने गुरुवार (6 मई) को अगरतला में हुई घटना के वायरल वीडियो के संबंध में सरकार को एक बार फिर से जांच करने की अनुमति दी, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट और उनकी टीम ने विवाह समारोह को बीच में ही रोक दिया था। चीफ जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने नोटिस जारी करने के साथ ही कई अंतरिम निर्देश जारी किए, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को अगरतला से बाहर भेजने का निर्देश भी शामिल है। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को इस मामले में एक बार फिर से जांच की अनुमति दी।
पीठ तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहले एक वकील ने संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, दूसरा विवाह समारोह में आए पुजारी द्वारा याचिका दायर की गई थी और तीसरा दुल्हन के पिता द्वारा याचिका दायर की गई थी जो उस रात शादी में घटना के दौरान वहां मौजूद थे। बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान नोटिस जारी करने के साथ ही कई अंतरिम निर्देश जारी किए, जिसमें डीएम को अगरतला से बाहर भेजने का निर्देश भी शामिल था। कोर्ट ने आगे कहा था कि घटना और उसमें डीएम की भूमिका की निष्पक्ष जांच के लिए ऐसा करना आवश्यक है।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राज्य सरकार ने इस घटना की जांच करने और घटना की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया था। 2 मई 2021 को डीएम को निलंबित भी कर दिया गया। 5 मई का कोर्ट का आदेश कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि कार्यवाही में गंभीर मुद्दों में याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि जिला मजिस्ट्रेट के निर्देशों के तहत 26 अप्रैल 2021 की रात को बड़ी संख्या में परिवार के सदस्य और शादी समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों को हिरासत में लिया गया था। काफी समय तक पुलिस स्टेशन में रखा गया था। इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
हालांकि इस आरोप के जवाब में प्रतिवादी ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा कि किसी को भी गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया था। यह तर्क दिया गया कि हॉल में उपस्थित सदस्यों को पुलिस स्टेशन में लाया गया क्योंकि कर्फ्यू के समय के बाद उनके पास रहने के लिए घर नहीं था और इसलिए, सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन लाया गया और महिलाओं और बच्चों को महिला पुलिस स्टेशन ले जाया गया।