Friday, November 22, 2024
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पुलिस जांच टीएमसी नेताओं की चुप्पी

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*क्या बंगाल की राजनीति में टर्निंग पॉइंट साबित होगा कोलकाता रेप केस?*

ममता सरकार के 13 साल में शायद पहली बार सत्ता विरोधी माहौल बनता दिख रहा है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्रेनी डॉक्टर से हैवानियत पश्चिम बंगाल की राजनीति को बदलने वाला साबित होगा, क्योंकि कोलकाता में डॉक्टर से रेप और मर्डर केस पर ममता बनर्जी चौतरफा घिर गई हैं.

*सूर्याग्नि रॉय.. अनुपम मिश्रा. कोलकाता.. पश्चिम बंगाल*

ममता बनर्जी यानी वो कद्दावर नेता जिसकी सादगी जनता को पसंद है और जिनकी उंगलियों के इशारे पर पश्चिम बंगाल की राजनीति पिछले 23 साल से नाच रही है. लेकिन क्या कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से हुई दरिंदगी पश्चिम बंगाल की राजनीति के लिए टर्निंग पॉइंट साबित होगी?

69 साल की ममता बनर्जी को उनके समर्थक सियासी योद्धा मानते हैं. ये ममता ही थीं जिन्होंने अकेले ही पश्चिम बंगाल पर 34 साल से काबिज वाम मोर्चे की सरकार का सफाया कर दिया. ये ममता बनर्जी ही थीं जिनके भारी विरोध की वजह से ही टाटा को अपनी लखटकिया नैनो परियोजना को समेटकर बंगाल से गुजरात जाना पड़ा था. सिंगूर और नंदीग्राम में जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलनों ने ही ममता बनर्जी को सत्ता में पहुंचाया था.

*टीएमसी नेता भी ममता सरकार पर हमलावर*

ममता सरकार के 13 साल में शायद पहली बार सत्ता विरोधी माहौल बनता दिख रहा है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्रेनी डॉक्टर से हैवानियत पश्चिम बंगाल की राजनीति को बदलने वाली साबित होगा, क्योंकि कोलकाता में डॉक्टर से रेप और मर्डर केस पर ममता बनर्जी चौतरफा घिर गई हैं. एक तरफ जहां विरोधी प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और सहयोगी भी ममता सरकार पर हमलावर हैं.

*क्या ममता बनर्जी को उठाना पड़ेगा राजनीतिक नुकसान?*

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर बंगाल सरकार की इतनी फजीहत हो रही है. पहले भी संदेशखाली का मामला हो या फिर आसनसोल हिंसा. ममता बनर्जी बैकफुट पर रह चुकी हैं. लेकिन इन फजीहतों के बावजूद ममता बनर्जी के सियासी कद पर कोई फर्क नहीं आया. उनकी पार्टी इन इलाकों में लगातार जीत दर्ज करती रही. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार ममता कोलकाता रेप केस के आरोपों से राजनीतिक नुकसान को रोक पाएंगी?

*सवालों के घेरे में पुलिस की जांच*…

कहा जाता है कि ममता बनर्जी जब भी सियासी मुश्किल में घिरती हैं तो पहले से ज्यादा मजबूत होकर उभरती हैं. लेकिन इस बार उनके सामने चुनौती बहुत कड़ी है. ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की तुलना दिल्ली में निर्भया केस से की जा रही है. लेकिन पश्चिम बंगाल के लोगों को इस संवेदनशील घटना पर ममता सरकार का रवैया हैरान कर रहा है. लोग भड़के हुए हैं. पश्चिम बंगाल की पुलिस पर आरोप है कि उसने इतने वीभत्स कांड में भी टाल मटोल वाला रवैया अपनाया जिसकी वजह से सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपना पड़ा. मगर सीबीआई की जांच के पहले ही दिन आधी रात को हंगामा मच गया. आधी रात को हजारों की संख्या में लोगों ने मेडिकल कॉलेज पर हमला कर दिया.

*उठ रहे सवाल*…….

सवाल उठे कि रात के अंधेरे में हजारों की भीड़ कहां से आ गई? क्या ये हमला सबूतों को मिटाने की साजिश थी? क्या सीबीआई जांच में कुछ बड़ा सच सामने आने वाला था? इधर ममता बनर्जी ने कहा है कि ये हमला बीजेपी और वामदलों ने बाहरी लोगों से कराया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या जांच में लापरवाही के आरोपों के बीच ममता बनर्जी का केस को सीबीआई को सौंपना क्या उनकी घटती ताकत का संकेत है? ममता बनर्जी ने लगातार CBI-ED जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का विरोध किया और अक्सर उन्हें विपक्षियों को परेशान करने का मोदी सरकार का औजार बताया.

*टीएमसी नेताओं की चुप्पी*…….

2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद ये शायद पहली बार है कि टीएमसी प्रमुख को सार्वजनिक रूप से राज्य पुलिस बल की कमियों को स्वीकार करना पड़ा. सवाल ये है कि क्या इसकी वजह कोलकाता रेप और मर्डर केस को लेकर पश्चिम बंगाल और देश का गुस्सा है, जिसे जानकार बंगाल की राजनीति का नया सिंगूर कांड मान रहे हैं. अस्पताल प्रशासन यानी तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष, वो संदीप घोष जिन पर शुरुआत से ही मामले में भटकाने के आरोप लगते रहे. उनका इस्तीफा अस्वीकार करके ममता सरकार ने उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल क्यों बना दिया? लेकिन इससे भी ज्यादा तीखे सवाल टीएमसी नेताओं की चुप्पी पर उठे.

*कोलकाता रेप केस पर महुआ मोइत्रा का सिर्फ एक ट्वीट*

लोकसभा में टीएमसी के 29 सांसद हैं जिसमें महुआ मोइत्रा, काकोली घोष और डोला सेन समेत 11 सांसद महिलाएं हैं. बावजूद इसके कोलकाता रेप और मर्डर केस में तृणमूल कांग्रेस की सांसद चुप रहीं. महुआ मोइत्रा जैसी मुखर सांसद को कोलकाता रेप और मर्डर केस पर पहली प्रतिक्रिया देने में 5 दिन लग गए जबकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर महुआ मोइत्रा ने घंटे भर के अंदर ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मोदी सरकार को घेरा था. 10 अगस्त से महुआ मोइत्रा ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर 20 ट्वीट किए तो कोलकाला मर्डर केस पर सिर्फ एक ट्वीट, वो भी चौतरफा आलोचना के बाद. इस चुप्पी ने ममता सरकार पर विपक्ष के हमलों को खूब धार दी. रही सही कसर आरजी कर हॉस्पिटल में आधी रात को हुए हंगामे ने पूरी कर दी.

*बीजेपी मांग रही ममता बनर्जी का इस्तीफा*..

उंगलियां सीधे कोलकाता पुलिस पर उठ रही हैं. बीजेपी के साथ-साथ, अस्पताल के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र भी कह रहे हैं कि पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश नहीं की. कोलकाता में जो कुछ हो रहा है. उससे तृणमूल कांग्रेस को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. टीएमसी नेता शांतनु सेन के आरजी कर अस्पताल पहुंचने पर ‘गो बैक’ के नारे लगे. ममता बनर्जी ने कहा कि 17 अगस्त को सभी ब्लॉकों में विरोध मार्च निकाला जाएगा. 18 अगस्त को सभी ब्लॉकों में प्रदर्शन होगा और 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. लेकिन बीजेपी ममता बनर्जी का इस्तीफा मांग रही है.