Monday, December 23, 2024
कविता

राष्ट्र में विधर्मियों की शक्तियों के स्वर बढ़े , तो शत्रुओं पर शस्त्र का संधान कविता है मेरी।।

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अखंडता की अस्मिता को शत्रु छेड़ते हो जब,
तो एकता के जागरण का गान कविता है मेरी।
राष्ट्र की समुन्नति जब अवनति के द्वार हो,
तो चेतना में प्राण का उत्थान कविता है मेरी।।
सिंधु पार जाने को बजरंगी भूले शक्ति को,
तो जामवंत जैसी शक्ति ज्ञान कविता है मेरी।
राष्ट्र में विधर्मियों की शक्तियों के स्वर बढ़े ,
तो शत्रुओं पर शस्त्र का संधान कविता है मेरी।।

भारती की आरती उतारती वसुंधरा,
वसुंधरा की सावनी फुहार हिंद है मेरा।
असंख्य योगदान देहदान प्राणदान युक्त,
त्यागियों तपस्वियों का प्यार हिंद है मेरा।।
जिस धरा को क्रांतिकारियों ने सींचा शीश देकर,
उस धरा पर देश बरकरार हिंद है मेरा।
विश्व को संदेश शांति सभ्यता का दाता देश,
राष्ट्र भक्ति भाव का विचार हिंद है मेरा।।

राष्ट्रवादिता की जो मशाल ज्वाल रही है,
ज्वाल के उबाल में पुरुषार्थ सच्चा कीजिए।
देश धर्म में समूचे क्रांति का हो शंखनाद,
शंखनाद से अगाध नाद अच्छा कीजिए।।
देशद्रोहियों से क्रुद्ध युद्ध भी कमाल का हो,
वीरता के भाव का भावार्थ अच्छा कीजिए।।
राष्ट्र रक्षा के लिए बलिदान देना भी पड़े तो,
गर्व से बलिदान देकर राष्ट्र रक्षा कीजिए।।

श्री जितेन्द्र यादव