14 मंजिल से कूद कर दी जान पिता अचंभित
दी जान, सवाल वही… अंजलि ने क्यों किया सुसाइड?*
इंदौर। इंदौर के अपोलो डीबी सिटी में मंगलवार को 13 वर्षीय छात्रा अंजलि यामयार के इमारत की 14वीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी करने के बाद मंजर हृदय विदारक था। जिस हंसती-खेलती बिटिया को पिता अमोल ने कुछ देर पहले बस स्टाप पर छोड़ा था, अब वह शव बनकर मल्टी के ओपन एरिया की फर्श पर पड़ी थी। उसके स्कूल की किताबें और लंच बाक्स बस्ते के अंदर ही कसमसाते रह गए। जैसे ही पिता को पता चला, वे बदहवास होकर पहुंचे और इस आस में बच्ची को लेकर अस्पताल की ओर दौड़े कि उसकी सांसें लौट आएं। उधर, घर में मां और बड़े भाई आदित्य का बुरा हाल था।
सांय-सांय करती एंबुलेंस डीबी अपोलो सिटी पहुंची, जिसमें अस्पताल से कपड़े में लिपटा बिटिया का शव घर लौटा। बदहवास पिता पहाड़ जैसा दुख लिए 12वीं मंजिल स्थित फ्लैट में पहुंचे। वे पत्नी को क्या बताते कि बेटी अब नहीं रही।
मां अर्चना बदहवासी में लिफ्ट से नीचे आईं और जैसे ही अर्थी के पास स्ट्रेचर पर बेटी का शव देखा अंजू…अंजू… पुकार कर बिलख पड़ीं। कभी बेटी के चेहरे को दुलारतीं, तो कभी उसे गले लगातीं। पति इस दु:ख के क्षण में पत्नी को संभालते रहे, लेकिन उनकी आंखें भी समंदर हो चली थीं।मां ने यूनिफॉर्म पहनाकर किया था तैयार, पिता ने गालों पर किया दुलार
स्कूल का पहला दिन और 13 वर्षीय अंजलि अपने नए-नवेले स्कूल जाने के लिए पिता के साथ खुशी-खुशी बस स्टॉप पर आई। विशाखापट्टनम से मार्च में ट्रांसफर होकर इंदौर आए पिता अमोल यामयार भी खुश थे कि बिटिया का आज इंदौर में स्कूल का पहला दिन है। मां ने उसे यूनिफॉर्म पहनाकर तैयार किया और पिता बेटी को हाईराइज बिल्डिंग डीबी अपोलो सिटी में 12वीं मंजिल पर स्थित अपने घर से लिफ्ट के जरिए नीचे आए।
लिफ्ट में पिता ने बेटी के गालों पर दुलार भी किया। पिता प्रसन्न थे कि बिटिया को स्कूल में नए दोस्त और नया माहौल मिलेगा। मगर खुशी के इस माहौल के बीच 13 वर्षीय अंजलि के मन में न जाने क्या उथलपुथल मची थी। बस स्टॉप पर कुछ देर तक बस का इंतजार करने के बाद उसने पिता को भरोसा दिया कि मैं चली जाऊंगी, अब आप घर जाइए।
पिता ने भी बिटिया को प्यार से बाय-बाय कहा और घर लौट आए। यही वह क्षण था, जब अंजलि के मन में चल रही उथलपुथल हावी हुई और वह पिता के जाते ही पास में स्थित दूसरी इमारत के अंदर चली गई। इसके बाद लिफ्ट से 14वीं मंजिल पर पहुंच गई। वहां स्कूल बैग रखकर नीचे कूद गई और पलभर में सबकुछ खत्म हो गया। यह सवाल अब हमेशा के लिए अंजलि के साथ चला गया कि आखिर अंतिम क्षणों में उसके मन में क्या चल रहा था।
कार धोने गया तो लड़की गिरी हुई दिखी
मैं हर रोज की तरह पार्किंग में कार धोने गया था। डक्ट में मुझे लड़की गिरी हुई दिखाई दी। वह कितनी देर पहले गिरी थी, यह बताना मुश्किल है। ओपेरा वन बिल्डिंग के रहवासी कुणाल अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने जा रहे थे, तब मैंने उन्हें बताया। बच्ची स्कूल ड्रेस में थी। कान व सिर से खून निकल रहा था। हमने चौकीदार के माध्यम से पुलिस को सूचना दी। – बलिराम, कार साफ करने वाला व्यक्ति
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई दहशत की दास्तां
मैं सुबह 8.28 बजे अपने बेटे युवांश को स्कूल छोड़ने के लिए चौथी मंजिल से नीचे गया था। तभी पार्किंग में कार धोने वाले बलिराम ने मुझे बताया कि पार्किंग के पास डक्ट में एक लड़की गिरी हुई है। दूर से देखा तो ऐसा लगा, जैसे वह सोई हुई है। पास जाकर देखा तो लड़की के सिर के आसपास खून फैला था। फिर हम भागकर गए और वॉचमैन को बुलाया। इसके बाद अन्य लोग भी वहां पर पहुंचे। बालिका को उसके पिता ने गेट पर छोड़ा था, लेकिन वह हमारी बिल्डिंग में आकर लिफ्ट से 14वीं मंजिल पर पहुंची। अभी यह पता चल रहा है कि लिफ्ट के पास बनी सीढ़ियों से उसने छलांग लगाई होगी। उसका स्कूल बैग उसी जगह पर मिला था। – कुणाल वसानी, रहवासी, अपोलो डीबी सिटी
अंजलि स्कूल ही नहीं आई
अंजलि का परिवार कुछ समय पहले ही विशाखापट्टनम से इंदौर शिफ्ट हुआ है। अप्रैल में वो सिर्फ एक दिन स्कूल आई थी। मंगलवार को स्कूल का पहला दिन था और वह स्कूल आने वाली थी, लेकिन वह आई नहीं। स्कूल की असेंबली के समय कुछ लोग हमारे पास आए और बालिका की स्कूल यूनिफॉर्म के आधार पर पहचान बताकर पूछताछ कर रहे थे। मैंने बालिका की मां से फोन पर बात की तो उन्हें भी बालिका के स्कूल न आने की जानकारी नहीं थी। – उषा किरण तोमर प्राचार्य, एडवांस एकेडमी