मैं जानता हूँ मुझको है राहत कहाँ कहाँ
Top Banner
हीरालाल यादव ” हीरा”
चाहत कहाँ कहाँ है अदावत कहाँ कहाँ
मैं जानता हूँ मुझको है राहत कहाँ कहाँ
करनी है किसकी ज़ीस्त में कीमत कहाँ कहाँ
पहचान किसकी कब है ज़रूरत कहाँ कहाँ
कुछ अपने दम भी मुश्किलों का हल निकालिए
माँगेंगे रब से आप मुरव्वत कहाँ कहाँ
सच झूठ अपना जानता है ख़ुद ही आदमी
छोड़ी है उसने अपनी शराफ़त कहाँ कहाँ
देखा जो तूने प्यार की नज़रो़ से ऐ सनम
मत पूछ हुई ज़िस्म में हरकत कहाँ कहाँ
दुनिया भरी हुई है हसीनों से दोस्तो
दिल की करेंगे आप हिफाज़त कहाँ कहाँ
कर लीजिए कुबूल वफ़ायें मेरी सनम
ढूँढेंगे और जग में मुहब्बत कहाँ कहाँ
मनमानियों की ठान लें जो हुक्मरान तो
करते फिरेंगे लोग बगावत कहाँ कहाँ
हर वक़्त आँखें मूँद के चलता है जो बशर
हीरा करोगे उसको नसीहत कहाँ कहाँ