बड़ी खबर
*उत्तर प्रदेश में नजूल की जमीनों को लेकर जारी किए गए योगी आदित्यनाथ सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने खुद को केस की सुनवाई से किया अलग ……*
*अदालत ने मामले को चीफ जस्टिस को रेफर करते हुए उनसे मामले की सुनवाई के लिए कोई नई बेंच नॉमिनेट किए जाने की …की सिफारिश* ……
*अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि नई बेंच के समक्ष 18 अप्रैल को की जाए मामले की सुनवाई* ……
*गौरतलब है कि नजूल अध्यादेश के खिलाफ प्रयागराज के डॉक्टर अशोक तहलियानी की ओर से दाखिल की गई याचिका पर पिछली सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में यह अंडरटेकिंग दी गई थी कि कुणाल रवि के इस बयान के चलते कोर्ट ने जरूरी नहीं समझा था कोई अंतरिम आदेश*……
*मामले की सुनवाई आज जस्टिस वी के बिड़ला और जस्टिस एस क्यू एच रिजवी की डिवीजन बेंच में होनी थी….. लेकिन बेंच ने खुद को सुनवाई से कर लिया अलग …….. इसी बेंच ने पिछली बार 15 मार्च को सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से किया था जवाब तलब* ……
*आज होने वाली सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार को अपना जवाब करना था दाखिल ….. लेकिन बेंच के सुनवाई से खुद को अलग करने की वजह से उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब नहीं हो सका दाखिल* ……..
*बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 1992 में नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की नीति की थी लागू ……इस नियम के चलते नजूल भूमि के ठेकेदारों या आधिपत्य रखने वालों ने निर्धारित शुल्क जमा कर जमीन फ्री होल्ड कराईं*…….
*शहरों में भारी मात्रा में नजूल भूमि को डीएम द्वारा फ्री होल्ड किया गया….. इस बीच सरकार को अपनी विकास योजनाओं पर अमल के लिए जमीन की महसूस होने लगी कमी*……..
*सरकारी नीति में बदलाव का फैसला लेते हुए नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने पर रोक लगाने का यह अध्यादेश किया गया जारी ……… इस अध्यादेश से न केवल नजूल जमीनों को फ्री होल्ड करने का काम रोक दिया गया….. बल्कि पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद उसे आगे नहीं बढ़ाने का भी लिया गया फैसला*…….