Sunday, March 16, 2025
हीरा का पन्ना

ग़ज़ल

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हीरालाल यादव हीरा

न तो अपनों की न ग़ैरों की बुराई करने
हम तो आए हैं मुहब्बत की कमाई करने

मस्अले बीच के सुलझाने का मन है या फिर
आप आए हैं फ़क़त हमसे लड़ाई करने

लेना-देना नहीं दुनिया से अगर है कुछ भी
क्या ज़माने में कहो आए हो भाई करने

सबको हाथों में नमक मलते हुए देखा है
दिल के ज़ख़्मों की कहाँ जाएँ दवाई करने

भेष में आदमी के होगा फरिश्ता हीरा
वो जो बैठा है ज़माने में भलाई करने

 

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