ग़ज़ल
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हीरालाल यादव हीरा
मिला लो किसी से नज़र धीरे-धीरे
बना लो किसी दिल में घर धीरे-धीरे
न कर जल्दबाजी कोई बावरे दिल
बढ़ेगा वफ़ा का शजर धीरे-धीरे
अभी ख़्वाब दिल को लुभा जो रहे हैं
करेंगे ये आँखों को तर धीरे-धीरे
ख़ुशी चाहते हो अगर सीख लो फिर
मुहब्बत का तुम भी हुनर धीरे-धीरे
मुहब्बत का दिल पर असर हो रहा है
इधर जल्दी-जल्दी, उधर धीरे-धीरे
न आएगी तुझको नज़र जल्द मंज़िल
अगर तय करेगा सफ़र धीरे-धीरे