दिवाली की हार्दिक बधाई
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रवि यादव “प्रीतम”
है दीपावली पुण्य संस्कृति पारम्परिक त्यौहार
शुभ मंगल अवसर है जगमग जगमग है संसार
देते लेते हुए बधाई नयी दिशा की ओर चलें
आंगन में ही नहीं हमारे मन में भी एक दीप जले
नयन नही मन की आंखों से भूखे तन को देख सकें
पहन नये परिधान को भी हर नग्न बदन को देख सकें
जिस घर तेल न बाती उस घर में भी ज्योत निराली हो
पुण्य प्रयत्न है ये कि निर्धन के भी यहां दीवाली हो
अल्प दान संकल्प हैं कि अब हर उपवन ही फुले-फले
कुटिल कालिमा मन मैला है लोभ,द्वेष,छल, माया से
कलुषित उर है तो क्या मतलब उजला होकर काया से
कर्म वर्तिका में ईंधन अपनी निश्छल सक्षमता हो
फैले पुंज प्रकाश प्रेम का नर मे अमर विनमता हो
कभी दनुजता नही मनुजता के दामन को छुवे-छले