मन के विकार
Top Banner
*एक दिन मैंने एक संत से पूछा महराज ये मन में विकार क्यों आ जाते हैं?न चाहते हुए भी ,तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि तुम्हारी दाढ़ी मूंछ तुम्हारे चाहने से आती है या बिना बुलाये मैंने कहा बाबा ये तो प्रकृति के कारण आ जाती है चाहो या न चाहो दाढ़ी मूंछ तो आ ही जाती है और फिर हम उसे हर दूसरे दिन रेजर से साफ कर लेते है।*
*बाबा ने कहा बस,तुम चाहो या न चाहो विकार तो आएंगे ही क्योकि प्रकृति गुण और अवगुणों से मिलकर बनी है इन विकारों को आने से कोई नही रोक सकता बस एक काम करो जिस तरह दाढ़ी को बनाने के लिए उस्तरा तैयार रखते हो उसी तरह इन विकारों को साफ करने के लिए सत्संग का उस्तरा तैयार रखो जैसे ही विकार आये सत्संग के उस्तरे से साफ करते चलो क्योंकि विकारों को मिटाया नही जा सकता बस साफ किया जा सकता है इसलिए सत्संग की विशेष महिमा है