Friday, March 14, 2025
कविताचर्चित समाचार

तीरथ की नही जरूरत

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बड़ा छोटा सा घर मेरा,
बड़ी छोटी सी बगिया है।
यहीं रहते मेरे मां- बाप,
बड़ी प्यारी सी दुनिया है।।

वो रहते हैं मेरे दिल में,
हम उनके दिल में रहते हैं।
वो मेरा ख्याल ‌ रखते हैं,
हम उनका ख्याल रखते हैं।।

चरण-रज उनके,
जो माथे से लगाते हैं।
जन्नत की खुशबू का,
अहसास कराते हैं।।

सिर पर हाथ उनका है,
कभी गम छू नहीं सकता।
खड़ा यमराज सर पे हो,
मगर कुछ कर नहीं सकता।।

मेरे मां- बाप की निकली,
दुआओं में वो ताकत है।
मिली अब तक जो दौलत है,
वो सब उनकी बदौलत है।।

मेरी हर सांस है उनकी,
उन्हीं से है मेरा जीवन।
उन्हीं पे कुर्बान जवानी है,
उन्हीं से मिले नवजीवन।।

माँ- बाप की सेवा में,
नहीं कोई मुहूरत,
पोछ दो आंसू इनके,
तीर्थ की नहीं जरूरत।।

श्रीनाथ मौर्य ‘सरस’

श्रीनाथ मौर्य ‘सरस’

ग्राम- सगरा, पोस्ट- पूरे ओझा,
सदर सिटी रोड, प्रतापगढ़(उ.प्र.)
पिन- 230001
मो- 9140286502

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