Thursday, November 21, 2024
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डिप्रेशन से हार मान रहे हैं लोग

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इस संसार में हम सभी के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं होती हैं, जिनसे हम निपटने का प्रयास करते रहते हैं. जीवन का मतलब ही समस्याओं का सामना करना और उन्हें पार करके आगे बढ़ना है. यही हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. जीवन की असफलता को मान लेना उसका समाधान नहीं है. फिर भी, कुछ लोग बहुत जल्दी हार मान लेते हैं. 28 साल की जोरया टेर बीक को गंभीर मानसिक समस्याएं हैं, जिसके कारण उन्हें मई में इच्छामृत्यु दी जाएगी. उन्होंने खुद ही इसे मांगी है. वह नीदरलैंड के एक गांव में रहती हैं. उन्होंने अपने जीवन में ऑटिज़्म, डिप्रेशन और पर्सनालिटी डिसऑर्डर जैसी कई जटिल समस्याओं का सामना किया है. जोरिया एक 40 साल का बॉयफ्रेंड और एक बिल्ली है. हालांकि महिला मेडिकली फिट बताई जा रही है, लेकिन वह मेंटल प्रोब्लेम्स से पीड़ित है.

मई में मिलेगी जीवन से राहत!

जोरिया एक समय साइकेट्रिस्ट बनना चाहती थीं लेकिन वह खुद जीवन भर मेंटल प्रोब्लेम्स से जूझती रहीं. फ्री प्रेस के अनुसार, जब उसके डॉक्टर ने हार मान ली और कहा कि वह और कुछ नहीं कर सकते, तो उसने फैसला किया कि वह इच्छामृत्यु चाहती है क्योंकि वह इस जीवन से तंग आ चुकी है. उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि अगर वह ठीक नहीं हुईं तो वह इस जीवन में ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगी.

Zoraya ter Beek

नीदरलैंड में इच्छामृत्यु के मामले बढ़ रहे हैं

रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी देशों में ऐसे कई लोग हैं जो मानसिक स्वास्थ्य कारणों के कारण इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं. महिला चाहती है कि उसके घर के सोफे पर ही उसकी हत्या कर दी जाए और फिर शव को जलाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाए. उनके आखिरी पलों में उनका बॉयफ्रेंड उनके साथ रहेगा.

Zoraya ter Beek

न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, नीदरलैंड दुनिया का पहला देश बन गया जहां 2001 में इच्छामृत्यु को वैध बनाया गया. साल 2022 में नीदरलैंड में इच्छामृत्यु के 8702 मामले सामने आए. इसी साल फरवरी में नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्रीस वैन एग्ट और उनकी पत्नी ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मौत को गले लगा लिया था. विशेषज्ञों का कहना है कि नीदरलैंड में भी लोग डिप्रेशन से हार मान रहे हैं.

जोरया पहले एक साइकियाट्रिस्ट बनने का सपना देखती थी, लेकिन उन्होंने अपनी मानसिक समस्याओं के कारण इसे छोड़ दिया. उन्होंने इच्छामृत्यु की मांग की, क्योंकि उन्हें इस जीवन से परेशानी हो गई है. नीदरलैंड में इच्छामृत्यु के मामले बढ़ रहे हैं, और यहां लोग अपनी मानसिक समस्याओं या पर्यावरण के बदलाव के कारण इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं। नीदरलैंड दुनिया का पहला देश बन गया है जो इच्छामृत्यु को 2001 में लीगल किया गया था.