सफलता की कहानी
*₹2500 महीना कमाई से इस शख्स ने खड़ा कर दिया 1 लाख करोड़ का साम्राज्य*
*बन गया आस्ट्रेलिया का सबसे अमीर भारतीय*
विवेक चंद सहगल का जन्म 1 फरवरी, 1957 को दिल्ली में एक जौहरी के परिवार में हुआ था. उन्होंने स्कूली शिक्षा पिलानी के बिड़ला पब्लिक स्कूल से पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की.
*रूली बिश्नोई*
*आस्ट्रेलिया के सबसे अमीर भारतवंशी हैं विवेक चंद सहगल*
*1975 में मां के साथ मिलकर रखी थी मदरसन ग्रुप की नींव*……
*कंपनी बीएमडब्ल्यू व मर्सिडीज के लिए बनाती है पार्ट्स*
*नई दिल्ली*। मदरसन ग्रुप के को-फाउंडर विवेक चंद सहगल का नाम आज धन कुबेरों की लिस्ट में शामिल है. वे आस्ट्रेलिया के सबसे अमीर भारवंशी हैं. उनकी कंपनी संवर्धन मदरसन बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, टोयोटा, फॉक्सवैगन और फोर्ड जैसी नामी कंपनियों के लिए पार्ट्स बनाती है. ऐसा नहीं है कि सहगल को यह बिजनेस विरासत में मिला था. उनके दादा जौहरी थे. सहगल ने अपनी मां के साथ मिलकर चांदी की ट्रेडिंग शुरू की और फिर कई और बिजनेस में अपने पांव पसार लिए. आज मदसरसन ग्रुप सालाना 1,05,600 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करता है. फोर्ब्स के अनुसार, विवेक सहगल की नेट वर्थ 38,965 करोड़ रुपये है.
विवेक चंद सहगल का जन्म 1 फरवरी, 1957 को दिल्ली में एक जौहरी के परिवार में हुआ था. उन्होंने स्कूली शिक्षा पिलानी के बिड़ला पब्लिक स्कूल से पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की. पढाई पूरी करने के बाद सहगल चांदी का व्यापार करने लगे. उन्होंने 1970 में एक किलोग्राम चांदी से से अपनी व्यापारिक यात्रा शुरू की. कुछ समय तक वो छोटे स्तर पर सिल्वर ट्रेडिंग करते रहे. इससे उन्हें हर महीने लगभग 2,500 रुपये की कमाई होती थी.
*1975 में रखी मदरसन की नींव*…
चांदी का फुटकर व्यापार करते हुए सहगल भांप गए कि इस धंधे को अगर बड़े लेवल पर किया जाए तो अच्छी कमाई हो सकती है. 1971 में उन्होंने अपनी मां श्रीमति स्वर्ण लता के साथ मिलकर चांदी की ट्रेडिंग बड़े पैमाने पर शुरू कर दी. 1975 में अपनी मां के साथ ही मिलकर उन्होंने मदरसन कंपनी की नींव रखी. कुछ साल ठीक-ठाक काम चलने के बाद चांदी के व्यापार में मंदी आनी शुरू हो गई.
*बदल ली राह*……
विवेक चंद सहगल ने चांदी की ट्रेडिंग की एक बड़ी फर्म के दिवालिया होने पर चांदी से व्यापार से निकलना ही उचित समझा. उन्होंने ऑटो पार्ट्स बनाने शुरू किए. कुछ समय बाद ही उन्होंने जापान की सुमिटोमो इलेक्ट्रिक के साथ सांझेदारी की और मदरसन सुमी की नीवं रखी. इसके बाद तो सहगल ने कभी पीछे मुड़कर ही नहीं देखा. उन्होंने कई कंपनियों का अधिग्रहण भी किया और भारत में ऑटो पार्ट्स के बड़े निर्माता बन गए.
*अब बेटा संभालता है कारोबार*
1995 में विवेक चंद सहगल ने मदरसन ग्रुप के दैनिक कार्यों से खुद को अलग कर लिया और चेयरमैन का पद संभाला. अब ग्रुप के बिजनेस को उनका बेटा संभालता है. विवेक चंद सहगल की ज्यादातर आय संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल, जिसे मदरसन सुमी के नाम से जाना जाता है, से ही आती है.