With whose permission the natives are being threatened by claiming authority in the scheduled area Forest workers are reaching there everyday and threatening them, claiming that the land belongs to them. Will the forest department encroach upon the land of their ancestors which was built many years ago? Poor helpless special backward tribal community is making rounds of the police station since last 3 days due to the attitude of the department
मूल निवासियों को किसकी अनुमति से अनुसूचित क्षेत्र में प्राधिकार बाता कर डर भय की स्थिति फैलाया जा रहा है
रोज पहुंच धमका रहे वनकर्मी, उनके स्वत्व की भूमि को बता रहे अपना अब वर्षों पुराने पुरखों के भूमि पर क्या वन करेगा अतिक्रमण?
गरीब निरीह विशेष पिछड़ी आदिवासी जनजाति 3 दिन से विभाग के रवैए के कारण काट रहे थाने का चक्कर
जिला-मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के भू-भाग क्षेत्र अंतर्गत घघरा आश्रितग्राम पोडीडोल यह वही ग्राम है जहां आजादी के 78 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाएं नही है। यहां बिजली,पानी,सड़क,स्वास्थ्य, शिक्षा,संचार सभी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीणों ने विगत वर्ष चुनाव का बहिष्कार भी किया था कारण था किसी भी जनप्रतिनिधि का इस ओर ध्यान नहीं देना।जब ग्रामीणों द्वारा बहिष्कार किया गया था जिसकी खबरों का प्रकाशन भी हुआ तब प्रशासन हरकत में आया और संवेदनशील कमिश्नर सरगुजा संभाग ने खुद इस ग्राम का दौरा किया,उनके साथ वर्तमान एसडीएम तहसीलदार भी मौजूद रहे। उन्होंने निरीक्षण किया और पाया कि सच में इस ग्राम को मूलभूत सुविधाओं की अत्यंत आवश्यकता है। कुछ निर्माण कार्यों की तकनीकी स्वीकृति हुई जो अभी तक अधर में ही लटका है प्रशासनिक व वित्तीय हेतु। इधर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी आ पहुंचा है प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लगा हुआ है। ऐसे समय में वन विभाग के रेंज बहरासी रेंज प्रमुख इंद्रभान पटेल के इशारे पर वन कर्मी विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो बैगा परिवार को प्रताड़ित कर रहे है। पूर्व में भी कर चुके है। और प्रकरण जिला में विचाराधीन है।
क्या है पूरा मामला :
घघरा आश्रित ग्राम पोंडीडोल में वन विभाग के बहरासी रेंजर के इशारे पर खुद का सीमांकन खुद के आधार पर कर दिया जा रहा है बिना ग्रामीणों की सुने। उक्त स्थल पर बकायदा खूंटा गाड़ा जा रहा है साथ ही पौधा रोपण के कार्य।जबकि ग्रामीणों उक्त भूमि पर शताधिक वर्षों से जीवन यापन कर रहे है।
18 खूंटा प्राप्त था जो अब 12 हो गया है : सुखसेन पण्डो
बयोवृद्ध ग्रामीण सुखसेन पण्डो ने बताया कि सन 60 के दौर में मैं खुद भूमि के नपाई में रहा हमको जो भूमि मिली थी वह 18 खूंटा गाड़ा गया था जिसे पहले ही हड़प लिया है और 12 खूंटा कर दिए है। उन्होंने ने याद करते हुए बताया कि कलेक्टर रैंक के अधिकारी के निर्देशन पर हम लोग को सुविधा मिला था।
बंट चुका है तिरंगा, पट्टा राजस्व पट्टा फौती नामांतरण और सीमांकन के लिए ग्रामीण परेशान
ग्रामीणों के 75–80 के दौर में तिरंगा पट्टा भी प्राप्त है। कुछ के पास राजस्व रिकार्ड है उक्त भूमि जो उनके पुरखों के नाम पर है संततियों के नाम पर भूमि को करने के लिए फौती और सीमांकन का प्रकरण कार्यालय तहसीलदार कोटाडोल के समक्ष प्रस्तुत है जिस पर कार्य चल रहा है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कारण लंबित है।
रेंजर के इशारे पर वन विभाग कर रहा प्रताड़ित,क्या इन्हे अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त?
इधर पूर्व भ्रष्ट कार्यों में संलिप्त और रंजीश्वश रेंजर बहरासी द्वारा चुनावकाल में आदर्श आचार संहिता के दौर में विशेष पिछड़ी जजातियों पण्डो बैगा ग्रामीणों को प्रताड़ित किया जा रहा है जनजातियों को रोज रोज पौंडीडोल के संपूर्ण ग्रामीणों को वन अमला उसके कर्मचारी गार्ड्स आदि के द्वारा डराया धमकाया जा रहा है उन्हे मजबूर किया जा रहा है भागने को। और थाने का भय दिखाकर बुलाया जा रहा है। जिनके लिए देश के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने, माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया है सुविधाएं दी है भोजन साथ में किया है इस गणतंत्र। उसी विशेष पिछड़ी जनजाति के साथ जनकपुर के घघरा, बरैल, रांपा छंदा आदि कई कई जगहों पर अत्याचार हो रहा है। जबकि राज्यपाल ने कहा है इन्हे सर्वप्रथम सुविधा का अधिकार है और ग्रामीणों के पास पुख्ता साक्ष्य और प्रमाण है।
एसडीओ को जानकारी नही:
क्षेत्र के एसडीओ वन को इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं रहती जब उन्हें पूछा जाता है देखवाता हूं पता करता हूं यही उनका जवाब होता है।
क्या कहते है वन मंडला अधिकारी मनीष कश्यप
डीएफओ मनीष कश्यप से इस संबंध में चर्चा की गई उन्होंने कहा कि एसडीओ को भेजा जाएगा और यदि ग्रामीणों के हक अधिकार में उक्त भूमि है तो जांच की जाएगी। 2006 के पहले का वन अधिकार देने का प्रावधान है।
03 दिन से ग्रामीण थाने का चक्कर काट रहे,क्या हुआ थाने में?
इधर रेंजर ने थाने में भूखे प्यासे गरीब आदिवासी विशेष पिछड़ी जनजाति को बुलवा लिया जिनके पास किराया तक नही रहता वो भी 03 दिन से काट रहे ग्रामीण चक्कर। पहले दिन थाना प्रभारी से मुलाकात नही हुई, दूसरे दिन रेंजर की टीम अपना नक्शा लेकर पहुंच गई दिखाने थाने और जब पैसे की व्यवस्था करके अपना पट्टा धर धर के ग्रामीण पहुंचे तो सभी जा चुके थे और ग्रामीणों को ही समझाइश दी दी गई कि वो वन अमला को करने दे इधर तीसरे दिन ग्रामीणों ने अपना आवेदन दिया, पुनः दस्तावेज लेकर पहुंचे,तिरंगा पट्टा और अधिकार पत्र पर उसे नही लिया गया। लेकिन तीसरे दिन आश्वासन मिला की सीमांकन और नामांतरण का जो प्रकरण कार्यालय तहसीलदार कोटाडोल के समक्ष लंबित है उसके निराकरण तक वन विभाग नही लगाए। लेकिन वन कर्मी इस बात का परिपालन नही कर रहे है।
ग्रामीणों के साथ अन्याय नहीं होने देंगें: प्रदेश अध्यक्ष जनहित संघ अंतर्गत पण्डो विकास समिति
विगत 45 वर्षों से जनसेवा की मिसाल जनहित संघ अंतर्गत पण्डो विकास समिति की प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम जनता के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। चाहे इसके लिए जिला स्तर से राज्य तक उपक्रम करना पड़े। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और आदर्श आचार संहिता के समय ग्रामीणों को प्रताड़ित करना यह घृणित और अमानुषिक आचरण का परिचायक है।
विशेष पिछड़ी जनजाति के ग्रामीणों को उनका अधिकार दिलाना हमारा कर्तव्य: केंद्रीय उपाध्यक्ष
जनहित संघ अंतर्गत पण्डो विकास समिति के केंद्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि इस पूरे मामले में मेरी बात डीएफओ से हुई जिन्होंने एसडीओ को स्थल पर भेजकर जांच कराने की बात कही। इसके साथ ही थाना प्रभारी जनकपुर को भी ग्रामीणों के हक अधिकार और वन विभाग के उनके भूमि।में अतिक्रमण को लेकर ग्रामीणों के पुरखों के अधिकार पत्र,तिरंगा पट्टा भू राजस्व और कोटाडोल तहसील में चल रहे नामांतरण के प्रक्रिया को बता दिया गया और सीमांकन तक वन विभाग को आपत्ति वाले स्थल पर प्लांटेशन नही करने का निवेदन किया है फिर भी ग्रामीणों के हित में कार्य का नही होता है तो सारे। साक्ष्य और प्रमाण जल्द ही माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत कर दिए जाएंगे और हमें विश्वास है विशेष पिछड़ी जनजाति बाहुल्य इस संपूर्ण ग्रामवासियों को न्याय मिलेगा।।
मुख्य बिंदू:
ग्रामवासी करें अतिक्रमण तो कार्यवाही? और वन करे तो?
शताधिक वर्षों पूर्व में जो जमीन ग्रामीणों को मिली थी इसके आधार पर क्यों नही होने दे रहा वन अमला सीमांकन इतनी हड़बड़ी और डर क्यों?
जब मामला कार्यालय तहसीलदार कोटाडोल के समक्ष प्रस्तुत है और प्रक्रियाधीन है तो ग्रामीणों को क्यों डरा धमकाकर थाना का चक्कर लगवाया जा रहा है?उच्चाधिकारी का मौन क्या इन रेंजर बहरासी जैसे भ्रष्ट लोगो को संरक्षित करना नही है राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री और राज्यपाल के निर्देश से बड़ा थाना है? जहां हो रही इनकी सुनवाई? जबकि प्रदेश के मुखिया ने स्वयं आदेश जारी किया था इनके क्षेत्र में जाकर शिविर लगाकर इनके मामलों का त्वरित निराकरण करना है क्या विश्व आदिवासी दिवस बस घोषणाओं के लिए है उसके परिपालन के लिए नही ?क्या ग्रामीणों का कहना गलत है कि उनकी भूमि जितनी थी उनता दे दें और सीमांकन होने दें ?क्या वन अमला गलत है इसलिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और आदर्श आचार संहिता के दौर में विवादित स्थल और ग्रामीणों के भूमि में खोद रहा गढ्ढा, गाड़ रहा खूंटा,कर रहा प्लांटेशन।क्या जनकपुर क्षेत्र में अन्य अवैध कार्य अतिक्रम नही दिखता वन अमला को। यदि नही तो जनहित संघ के केंद्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकता है।क्या रेंजर इंद्रभान पटेल पिछले वर्ष 2024 में अपने गलत कार्य के लिए गिड़गिड़ाकर और सांठ गांठ करके समझौता करके भूल गए की प्रावधान अब भी वही है?रेंजर के इशारे पर इनके कर्मचारी और बाहरी गुण्डो ने मारपीट,गाली गलौज और घायल कर दिया था इसी विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगो को और कार्यवाही के दर से गिड़गिड़ाकर सांठ गांठ कर लिया था लेकिन मामला विचाराधीन है इस पर भी पुलिस अधीक्षक कलेक्टर कार्यालय के प्रतिवेदन के बाद न्यायालय तक जाने के लिए जनता तैयार है।क्या इसलिए पण्डो बैगा को चिन्हांकित करके रंजिश निकाल रहे है रेंजर के उनके कर्मचारी?क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का मौन समझ के परे है।इस समाचार पत्र के माध्यम से माननीय वन मंत्री, प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर,मुख्य वन संरक्षक सरगुजा से जनता अपील करती है कि ऐसे भ्रष्ट रेंजर इंद्रभान पटेल पर जनहित में तत्काल उचित कार्यवाही करें। और ग्रामीणों को उनके अधिकार की भूमि से बेदखल ना किया जाए। जबकि प्रकरण तहसील में प्रक्रियाधीन है।