Wednesday, November 13, 2024
जौनपुर

शारीरिक रूप से किए गए उत्पीड़न को यौन उत्पीड़न कहा जाता है, जनपद न्यायाधीश

Top Banner

उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली व राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग के निर्देशानुसार एवं श्रीमती वाणी रंजन अग्रवाल माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर के निर्देशन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में ‘‘विधान से समाधान एवं महिलाओं से संबंधित विभिन्न कानूनी अधिकारों व विभिन्न केन्द्र/राज्य सरकार की योजनाओं’’ के विषय पर 06 दिसम्बर 2023 को ‘‘विकास खण्ड सभागार मड़ियाहूॅं, जौनपुर’’ में महिलाओं को जागरूक किये जाने हेतु विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर को सम्बोधित करते हुए श्री प्रमोद कुमार यादव, नायब तहसीलदार मड़ियाहूॅ, जौनपुर द्वारा  PCPNDT Act 1994 इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य गर्भाधान से पहले या बाद में सेक्स चयन तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना है और सेक्स चयनात्मक गर्भपात के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीक के दुरूपयोग को रोकना है। भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी के अनुसार दहेज हत्या का मामला बनाने के लिये महिला की शादी के सात वर्ष के भीतर जलने या अन्य शारीरिक चोटों (सामान्य परिस्थितियों के अलावा) से मृत्यु होनी चाहिये। यौन उत्पीड़न शारीरिक रूप से किए गए उत्पीड़न को यौन उत्पीड़न कहा जाता है। इसमें किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के बीना छूना, जबदस्ती या शक्ति का प्रयोग करना और शारीरिक रूप से कोई यौन  संबंधी कार्य करने के लिए मजबूर करना शामिल है। जबकि यौन शोषण में किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसे यौन क्रिया में संलग्न करने के लिए बल, अवांछित जानबूझकर छूना, जबरदस्ती किसी को पकड़ना, किसी को लगातार  घूरना या रास्ता राकेना, सामाजिक या सेक्शुअल लाइफ के बारे मे पूछना, फोन करके अभद्र बातें करना, छूना और चूमना, किसी को देख कर सिटी बजाना आदि शामिल है। साथ ही केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।
खण्ड विकास अधिकारी श्री गृजेश प्रताप द्वारा बताया गया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 326ए के तहत कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी पुरूष या महिला पर तेजाब फेंकता है और उससे उस व्यक्ति को स्थाई या आंशिक रूप से नुकसान पहुंचता है तो इसे गंभीर अपराध के श्रेणी में जाना जाता है ऐसे मामलों में अपराधी को कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद भी हो सकती है। साथ ही यह अपराध गैर जमानती होता है दोषी पर उचित जुर्माने का भी प्रावधान है। जुर्माने की राशि पीड़िता को दी जाती है। घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के अंतर्गत विवाहित महिलाओं के पास जब कभी परिवार द्वारा मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत ही वो अपनी शिकायत को दर्ज करा सकती है। रिसोर्स पर्सन श्रीमती सविता सिंह यादव द्वारा बताया गया कि किडनैपिंग और व्यपहरण का वर्णन भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में किया गया है। वहीं अपहरण या एबडक्शन का भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में उल्लेख किया गया है। किसी महिला का सरेशाम किया गया अपहरण या दिनदहाड़े घर में घुसकर युवक/युवती का हुआ अपहरण। ऐसे क्राइम को अपहरण कहा जाता है। अपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में परिभाषित किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को एक स्थान से जाने के लिए विवश करता है तो उसे अपहरण का अपराध कहां जाता है।
रिसोर्स पर्सन श्रीमती अराधना गुप्ता द्वारा बताया गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत एक महिला के मौलिक अधिकारों का हनन और उसके जीवन के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीने और किसी भी पेशे को निभाने का अधिकार है किसी भी व्यवसाय, व्यापार पर जिसमें यौन उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार शामिल है। कारखाना एक्ट व अन्य श्रम कानूनों के तहत प्राप्त संरक्षण और अधिकतम कार्यावधि की अवधि, मातृत्व अवकाश उपलब्ध होने की व्यवस्था व कार्य स्थल पर शिशुओं को संरक्षित रखने की व्यवस्था व बच्चों को फिडींग करने का अधिकार आदि से अवगत कराया गया। साथ में कार्यस्थल पर यदि उनके साथ किसी प्रकार का यौन उत्पीड़न या अन्य किसी प्रकार का उत्पीड़न किया जाता है तो उनके संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदत्त विधि व्यवस्थाओं के द्वारा उनको क्या संरक्षण व अधिकार प्रदान किये गये है उनसे अवगत कराकर श्रम से संबंधित विधियों से अवगत कराया गया। पैनल अधिवक्ता श्री देवेन्द्र कुमार यादवद्वाराजिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की योजनाओं के क्रियान्वयन के सम्बन्धित विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करायी गयी। वैवाहिक प्री-लिटिगेशन मामलों एवं मध्यस्थता के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया, साथ ही राष्ट्रीय लोक अदालत एवं विशेष लोक अदालत के लाभों के बारे में बताया।
इस अवसर पर मालती यादव, किरनलता, बिन्द्रा देवी, उषा पटेल एवं 60 महिलायें, पी0एल0वी0गण सर्वश्री शिवशंकर सिंह, सुनील कुमार, अरविन्द कुमार व अन्य ग्रामीण नागरिक उपस्थित रहें।