मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह और अन्य के खिलाफ दर्ज कथित जबरन वसूली के मामले को बंद करने के संबंध में पेश की रिपोर्ट
सीबीआई ने पर्याप्त सबूतों के अभाव का हवाला देते हुये मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह और अन्य के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के मामले को बंद करने के संबंध में रिपोर्ट पेश की है। एजेंसी ने 18 जनवरी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ठाणे के समक्ष एक क्लोजर रिपोर्ट पेश की। अदालत फरवरी में रिपोर्ट पर विचार कर सकती है। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मामले में तथ्य और परिस्थितियां आरोपों को साबित नहीं करतीं या किसी भी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई भी सबूत का खुलासा नहीं करतीं।
सीबीआई ने पर्याप्त सबूतों के अभाव का हवाला दिया
क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ वर्ष 2016-2017 के दौरान हुई घटना के बारे में शिकायत 2021 में कराई गई। इस समय तक वह सबूत उपलब्ध नहीं थे जो सच्चाई को साबित करने में मददगार हों।’’ स्थानीय व्यवसायी शरद अग्रवाल ने शुरुआत में जुलाई 2021 में मुंबई के पड़ोसी शहर ठाणे के कोपरी पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था। अग्रवाल ने दावा किया था कि सिंह, एक पूर्व पुलिस उपायुक्त, कुछ रियल एस्टेट डेवलपर समेत अन्य आरोपियों ने उसकी जमीन हड़पने के लिए कथित तौर पर उन्हें धमकी दी थी और जबरन दो करोड़ रुपये ऐंठ लिये। बाद में मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया।
अदालत फरवरी में रिपोर्ट पर विचार कर सकती है
एजेंसी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि उसने शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता को परखा और पाया कि साक्ष्य का अभाव है। रिपोर्ट में कहा गया कि शिकायतकर्ता ने जो दावे किये उसे साबित करने के लिए कोई भी सबूत नहीं है। सीबीआई ने कहा कि अग्रवाल ने बिना किसी दबाव या डर के, स्वेच्छा से अपनी जमीन देने का समझौता किया था। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘शिकायतकर्ता के आरोप साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिले। घटना की तारीख से लगभग पांच साल बाद शिकायत दर्ज कराई गई थी।’’ इसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता अपने दावों को साबित करने के लिए कोई विवरण नहीं दे सका।