Surrendering to God is the best solution to life – Jagadguru Ramanujacharya Madhurakavi Vanamamalai Jiyar
भगवान की शरणागति ही जीवन का सर्वोत्तम उपाय है:– जगदगुरु रामानुजाचार्य मधुरकवि वानमामलयै जियर
प्रतापगढ हरिशयनी एकादशी के पावन पर्व पर रामानुज आश्रम में श्री संप्रदाय जिसे रामानुज संप्रदाय भी कहते हैं की विश्व की सर्वोच्च पीठ अष्ट भू वैकुंठो में एक तोताद्रिमठ नागूनेरी के पीठाधिपति परम पूज्य प्रातः स्मरणीय परम श्री वैष्णव अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री मधुरकवि वानमामलयै जियर पधारे। जहां ढोल मंजीरा घंटा घड़ियाल एवं वेद मंत्रों के मध्य वैष्णव भक्तों द्वारा स्वागत बंदन किया गया। धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे एवं नारायणी रामानुजदासी ने आपका पाद्द प्रछालन माल्यार्पण करते हुए आरती पूजन अर्चन किया, तत्पश्चात पादुका पूजन का कार्यक्रम वेदोक्त रीति से स्वामी जी के साथ पधारे आचार्यों ने स्वामी श्रीकांत के नेतृत्व में संपन्न कराया। स्वामी जी ने कहा कि आज हरि शयनी एकादशी है यह भगवान हरि का दिन है ।भगवान अपने वचन को निभाने के लिए आज से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तक एक स्वरूप में क्षीरसागर में तथा दूसरे स्वरूप में सुतल लोक में राजा बलि के यहां वास करते हैं ।चार महीने तक कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इन चार महीनों में भगवान की कथा संकीर्तन उनका गुणानुवाद या एक तुलसी के दल से भी जो उनकी पूजा अर्चना करता है भगवान श्री हरि प्रसन्न होकर उस जीव का कल्याण करते हैं ।भगवान की शरणागति ही जीवन का सर्वोत्तम उपाय है। यह अवध क्षेत्र है प्रभु श्री राम की नगरी है। दक्षिण भारत में अवतरित होने वाले आचार्य आद्य शंकराचार्य माधवाचार्य जी कथा जगदगुरु रामानुजाचार्य जी ने जीवों के कल्याण के लिए सदा अपने भक्तों को शास्त्रों के अनुसार कार्य करने के लिए उपदेशित किया है ।भगवान की प्राप्ति ज्ञान नहीं बल्कि भक्ति के द्वारा की जा सकती है ।भगवान भाव के भूखे हैं। उनकी नजरों में न कोई बड़ा है ना छोटा है। सभी जीव समान है। जो रामानुज स्वामी भगवान के संबंधियों से संबंध बनाकर भगवान की शरणागति करता है यदि वह मरते समय भगवान को भूल भी जाए तब भी भगवान श्रीमन्नारायण उसको बैकुंठ लोक प्रदान करते हैं। सनातन धर्म “सर्वे भवंतु सुखिन:” की कामना करता है। भगवान श्री लक्ष्मी नारायण समस्त जीवों और संसार का कल्याण करें, यही दास की कामना है। अंत में रामानुज आश्रम में तुलसी के वृक्षों का रोपण करने के पश्चात आप उत्तरतोताद्रि मठ अयोध्या धाम के लिए प्रस्थान किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से परम पूज्य जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री मधुसूदनाचार्य पीठाधिपति श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर चिलबिला एवं समस्त आचार्यों को अंग वस्त्रम एवं फल देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नारायणी रामानुज दासी विश्वम प्रकाश पांडे इंजीनियर पूजा पांडे डॉ अवंतिका पांडे डॉक्टर अंकिता पांडे देवेंद्र ओझा एडवोकेट राजेश रामानुज दास जनकलली रामानुजदासी संतोष भगवन कमला श्रीवास्तव सुभद्रा रामानुज दासी लक्ष्मी मिश्रा अनीता पांडे दीपक रामानुज दास आरती तिवारी कन्हैया सिंह तनु सिंह बिट्टो सिंह ओपी यादव सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे।