संवाददाता: बी.बी.सी. इंडिया न्यूज 24
जौनपुर, कलेक्ट्रेट सभागार, दिनांक––
जिलाधिकारी डॉ0 दिनेश चंद्र की अध्यक्षता में आयोजित जिला उद्योग बंधु की बैठक ने एक बार पुनः शासन स्तर पर चलाई जा रही योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। सीएम युवा उद्यमी विकास योजना, जो कि प्रदेश के युवा उद्यमियों को स्वरोजगार हेतु प्रेरित करने और आर्थिक संबल प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई है, बैंकों की ढिलाई, उपेक्षा और मनमानी के कारण निरर्थक साबित होती प्रतीत हो रही है।
बैठक के दौरान जब जिलाधिकारी ने आवेदकों से प्रत्यक्ष संवाद किया, तो अनेक युवा उद्यमियों ने यह कहकर चिंता प्रकट की कि बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण को वितरित नहीं किया जा रहा है और जानबूझकर हीला-हवाली की जा रही है। यह स्थिति शासन की मंशा पर सीधा प्रहार है और बैंकिंग संस्थानों की अकर्मण्यता का जीवंत उदाहरण भी।
डॉ0 दिनेश चंद्र ने इस शिथिलता पर तीव्र नाराजगी व्यक्त करते हुए लीड बैंक मैनेजर (एलडीएम) तथा संबंधित बैंकों के प्रतिनिधियों को त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए, परंतु यह कोई पहली बार नहीं है कि बैंक अधिकारियों को इस प्रकार की चेतावनी दी गई हो। इससे पूर्व भी अनेक बार निर्देशों की खानापूर्ति हुई, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी सुधार देखने को नहीं मिला।
बैठक में निवेश मित्र पोर्टल की समीक्षा के दौरान यह अवश्य पाया गया कि पोर्टल पर कोई लंबित प्रकरण नहीं है, किन्तु यह तथ्य मात्र प्रणालीगत औपचारिकता की संतुष्टि करता है। वास्तविक समस्या भौतिक स्तर पर बैंकों के रवैये में है, जिसकी ओर शासन को अब कठोर कार्रवाई की ओर अग्रसर होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त बैठक में ईंट भट्टों के विरुद्ध प्रवर्तन कार्यवाही, औद्योगिक आस्थान सिद्धिकपुर में भूखंड पर अतिक्रमण, सीडा के विस्तार, आरा मिल लाइसेंस, कारखाना अधिनियम पंजीकरण जैसे अनेक बिंदुओं पर चर्चा की गई, किन्तु प्रत्येक विषय के पीछे एक सामान्य कड़ी दिखाई दी – प्रशासनिक निर्देशों का पालन न करने की प्रवृत्ति और अनुपालनहीन व्यवस्था की दृढ़ जड़ें।
प्रशासनिक संकल्प और क्रियान्वयन के मध्य की इस खाई को यदि शीघ्रता से पाटा नहीं गया, तो सरकार की लोककल्याणकारी योजनाएँ कागज़ी घोषणाओं तक सीमित रह जाएंगी और युवाओं का विश्वास शासकीय तंत्र से उठ जाएगा।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री ध्रुव खाड़िया, अपर पुलिस अधीक्षक श्री आयुष श्रीवास्तव, उपायुक्त उद्योग श्री संदीप कुमार सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे, परंतु स्थायी समाधान हेतु अब महज उपस्थिति नहीं, उत्तरदायित्व का निर्वहन आवश्यक हो गया है।
यह अत्यंत खेदजनक है कि एक सशक्त प्रशासनिक नेतृत्व के बावजूद भी निचले स्तर की कार्यप्रणाली में शिथिलता और हठधर्मिता कायम है। यदि इस प्रकार की स्थितियों को नियंत्रित नहीं किया गया, तो प्रदेश का “स्टार्टअप इकोसिस्टम” और युवा शक्ति दोनो ही गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। अब आवश्यक है कि अनुत्तरदायी बैंक अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए और प्रत्येक प्रकरण की समयबद्ध निगरानी की ठोस व्यवस्था की जाए।
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